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सपने की हकीकत

संसद या सासत
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सपने की हकीकत
वैसे तो आज प्रत्येक प्रांत ही वैश्यालय बन चुका है. किन्तु उत्तर प्रदेश का स्थान सर्वोच्च है. आज केन्द्रीय मंत्री की दृष्टि में मंदिर से ज्यादा अहमियत शौचालय की है. यही कारण है क़ि आज भारत को बड़े जोर शोर से विश्व के लिये शौचालय के रूप में परिवर्तित किया जा रहा है. इसके लिये अनेको परियोजनाएं सक्रीय है. किन्तु उत्तर प्रदेश को विश्व समुदाय के लिये वैश्यालय के रूप में चुना गया है. और इस दिशा में कार्य प्रगति पर है. अपनी इसी प्रगति शीलता के सहारे उत्तर प्रदेश के भूत पूर्व मुख्य मंत्री, भारत सरकार के भूत पूर्व रक्षा मंत्री एवं समाजवादी पार्टी के मुखिया एवं माननीय मुख्य मंत्री उत्तर प्रदेश सरकार श्री अखिलेश यादव के पूज्य पिताश्री मुलायम सिंह यादव भारत के अगले प्रधान मंत्री बनने का दावा कर बैठे है. इसके लिये उन्होंने अपने जाति-बिरादरी को भर पूर छूट दे रखी है क़ि इसके लिये जो करना पड़े, निडर होकर करो. और चाहे जिस तरह भी हो सके अगला प्रधान मंत्री मुझे ही बनाओ. उनके भाई बंद भी इस दिशा में अपनी एडी चोटी का जोर लगाए हुए है. रात-दिन खून पसीना बहा रहे है. उनकी समस्त उपलब्धियों को गिना पाना मेरे बस में तो नहीं है. किन्तु कुछ प्रधान एवं महत्व पूर्ण उपलब्धियां निम्न प्रकार है—————–
  1. कानपुर एवं इटावा के बीच एक स्थान सिराथू. श्री सरयू प्रसाद शुक्ला को भूपति यादव ने इस लिये मरवा दिया क्योकि उन्होंने अपने लगे गेहूं की फसल वाले खेत में भूपति यादव की बेटी की शादी में घुड दौड़ नहीं करने दी. विरोध करने पर बाद में उनके दोनों बेटो विवेक एवं कोशल को भी मरवा दिया गया. (12 मई 2012 दैनिक जागरण)
  2. कानपुर का एक मुहल्ला बर्रा. रामदयाल लुहार को भद्रेश सिंह यादव ने इसलिए मरवा डाला कारण यह है क़ि उसने उनके कहने पर भावेश शुक्ला के घर का ताला नहीं काटा. जिस पर उन्हें कब्जा करना था. ध्यान रहे भद्रेश यादव ने फरवरी के महीने में ही भावेश शुक्ला का क़त्ल कर डाला था. जिसके अपराध में वह चार दिनों तक जेल में रहा. तथा मंत्री जी के फोन आते ही उसे रिहा कर दिया गया था. (3 जून 2012 , दैनिक जागरण)
  3. कानपुर-इलाहाबाद मार्ग पर स्थित एक स्थान खागा. नरेश राम का क़त्ल दीना नाथ यादव ने इसलिए करवा दिया क्योकि उसकी जीप दीना नाथ यादव के बेटे की शादी में नहीं गयी थी. (3 जून 2012 दैनिक जागरण)
  4. बांदा के राम आश्रय शुक्ला एवं उसके भाई देवेश शुक्ला को भैरव यादव ने इसलिए मरवा डाला क्योकि भैरव यादव के लडके नीरज ने देवेश शुक्ला की बेटी रीता का बलात्कार किया था. और श्री शुक्ला जी ने उनके खिलाफ थाने में रिपोर्ट दर्ज करा दी थी. रिपोर्ट दर्ज करने के अपराध में थानेदार यतीन्द्र मिश्र को दूसरी जगह पोस्ट कर दिया गया. (5 जून 2012 अमर उजाला)
  5. मेरठ के नेगी सराय में बाबू राम के खेत को राम सेवक यादव ने जबरदस्ती हड़प कर वहां पर अपना बैठका एवं गोशाला बनवा लिया. विरोध करने पर बाबूराम के बड़े बेटे प्रकाश को काट कर नहर में फेंक दिया गया. थाने में रिपोर्ट लिखवाने गए बाबूराम को थानेदार ने मार कर भगा दिया. तथा नसीहत दी गयी क़ि वह गाँव छोड़ कर चला जाय. नहीं तो बाकी लोगो की भी यही दशा होगी. बाबूराम अपने परिवार के साथ कही अन्यत्र चला गया. (दिनांक 13 जुलाई 2012 , अमर उजाला)
  6. सहारनपुर के छत्ता जम्बूदास में सुधीर कुमार अग्रवाल की दो मंजिला बिल्डिंग जबरदस्ती बीरबल सिंह यादव ने हड़प लिया. और सुधीर को उसी की बिल्डिंग में पंखे से लटकाकर दिखा दिया गया क़ि उसने खुदकुशी कर ली. उसकी बीबी जो राम नगर की रहने वाली है, वह सारा माज़रा समझ गयी. थाने में रिपोर्ट लिखाने गयी. जहाँ उसे बेइज्ज़त किया गया. उसने अपने एक बेटी एवं एक बेटे के साथ ज़हर खाकर खुदकुशी कर ली. (दिनांक 16 अगस्त 2012 अमर उजाला)
  7. इलाहाबाद के कौशाम्बी में दया शंकर बरनवाल को यदुपाल सिंह यादव ने मार डाला. कारण यह था क़ि उसने अपनी दूकान उन्हें बेचने से इनकार कर दिया. बदले में थानेदार साहब ने दया शंकर के पिता को तथा उसके छोटे भाई विजय शंकर को इतना मारा क़ि दोनों ने थाने में ही दम तोड़ दिया. दोनों की लाश को बोरे में बंद कर के यमुना में फेंक दिया गया. जिसे अरैल घाट पर निकाला गया. (दिनांक 20 जुलाई 2012 दैनिक जागरण)
  8. जौनपुर के मछली शहर के निवासी प्रभास शुक्ला के बेटे सतीस शुक्ला को बिजय बहादुर सिंह यादव निवासी ग्राम परगनपुर ने मरवा दिया. कारण यह था क़ि सतीश पढ़ने में बहुत ही होनहार एवं तेजस्वी लड़का था. उसने इतने अच्छे अंको से परीक्षा उत्तीर्ण की थी क़ि उसे ही विद्यालय की तरफ से दी जाने वाली छात्रवृत्ती प्रदान की जाती. किन्तु छात्रवृत्ती तो बिजय बहादुर सिंह यादव के बेटे विशाल यादव को दिलवानी थी. जो सतीश के उस विद्यालय में रहते असंभव थी. प्राचार्य श्री रघुनाथ शुक्ला ने जब इसका विरोध करना शुरू किया तो उन्हें भी मरवा दिया गया. तथा घोषित कर दिया गया क़ि उनकी मृत्यु ह्रदय गति रुकने से हो गयी है. (दिनांक 27 जुलाई 2012 दैनिक जागरण)
  9. देवरिया जिले के भाटपाररानी के देवशरण ठाकुर को वही के निवासी यशपाल यादव ने मरवा दिया. कारण यह था क़ि उन्होंने यशपाल यादव को अपना ट्रेक्टर चोरी की भैंस सरयू पार से लाद कर गोठिनी घाट ले जाना था. उसके लिये नहीं दिया. थानेदार राधेश्याम शुक्ला ने जब इसकी छान बीन शुरू की तो उन्हें लाइन हाज़िर कर दिया गया. (दिनाक 28 जुलाई 2012 अमर उजाला)
  10. बनारस के रोहनिया में रामरती को नन्हकू यादव सिर्फ इस लिये मरवा दिया क़ि उसने उन्हें अपनी गाय नहीं दी. उसे मरवाने के बाद श्री नन्हकू जी ने उस गाय को अपने दरवाजे पर बंधवा लिया. थानेदार के विरोध करने पर उसे सस्पेंड कर दिया गया. (दिनांक 29 जुलाई 2012 अमर उजाला)
  11. बलिया के संदवापुर में श्री तिलक धरी यादव, श्री किशुन यादव तथा श्री पारस यादव ने वहां के लेखपाल हंसनाथ यादव, क़ानून गो श्री दूध नाथ यादव के साथ मिल कर एक असहाय स्त्री की ज़मीन की पैमायिस गलत तरीके से कराकर उसे हड़प लिया गया. जब वह थानेदार से शिकायत करने पहुँची तो संयोग से एक सिपाही ने उसे पहले ही आगाह कर दिया क़ि थाने पर मत जाना. अन्यथा या तो तुम्हें बेइज्ज़त किया जाएगा. या फिर मरवा दिया जाएगा. वह असहाय स्त्री अपने मानसिक रूप से विक्षिप्त भाई को लेकर कही चली गयी. (प्रत्यक्ष)
  12. उसी  गाँव के निवासी श्री गोरख यादव एवं श्री परम हंश यादव ने मिल कर एक और अबला को उसके दरवाजे की ज़मीन हड़प कर उस पर सड़क बनवा दिया. जब उसने विरोध किया तो उसे मारने की धमकी दी गयी. उस स्त्री ने डर कर अपने बच्चो के साथ गाँव ही छोड़ दिया. (प्रत्यक्ष)
  13. उपरोक्त गाँव से सटे एक मुहल्ला ज़मीन भांटी के निवासी श्री मोहन यादव, धीरेन्द्र यादव एवं कृष्ण यादव ने मिलकर किशुन राजभर के बेटे को इतनी मार मारा क़ि अब वह शायद कभी कोई काम नहीं कर पायेगा. कारण यह था क़ि उसने उनके यहाँ बिना मज़दूरी लिये काम करने से इनकार कर दिया था. (प्रत्यक्ष)
  14. मऊ जिले के भीटी मोड़ पर घर बनवाये श्री राजदेव राय को मुरारी यादव ने इस लिये मरवा दिया क़ि उन्होंने अपना वह घर मुरारी यादव को दारूखाना खोलने के लिये नहीं दिया. यही नहीं थानेदार बृजभूषण पाण्डेय को दखल देने के कारण मुअत्तल कर दिया गया. (3 सितम्बर 2012 अमर उजाला)
  15. गाजीपुर के परसा निवासी रामप्यारे राय को भिरुग यादव ने इस लिये मरवा दिया क़ि उन्होंने अपना खेत उन्हें मछली पालने के लिये नहीं दिया. और थानेदार साहब ने रामप्यारे राय के बेटे सोहन एवं मोहन दोनों को पता नहीं कहाँ भेज दिया या मरवा दिया . आज तक पता नहीं चल पाया. (दैनिक जागरण, 5 सितम्बर 2012 )
  16. गोरखपुर के कूडाघाट निवासी श्री देवनाथ यादव ने मुरली प्रसाद मौर्या को इसलिए मरवा दिया क़ि उसने अपना ज़मीन का प्लाट उन्हें नहीं बेच दिया. तथा खुद ही अपना घर बनवा लिया. उसके बाद उसकी पत्नी को थाने में जबरदस्ती बुलाकर उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया. और बाद में उसे भी मरवा दिया गया. (22 सितम्बर 2012 , दैनिक जागरण)
  17. संत रविदास नगर के भूलन राम एवं उसकी पत्नी को इस लिये जला दिया गया क़ि उसने राम जतन यादव निवासी मंझन पुर को अपना सरकारी पट्टे वाली ज़मीन नहीं दिया. और आज उस ज़मीन पर श्री यादव जी का लबे सड़क सरकारी शराब की दूकान खुली हुई है. (23 सितम्बर 2012 दैनिक जागरण)
  18. आगरा के बलुवा घाट निवासी बनवासी बरनवाल को जीतेंद्र यादव ने इसलिये मरवा डाला क़ि उसने अपना ट्रक उनके ठेके को छोड़ कर दूसरे के ठेके में चलने के लिये दे दिया. 12 सितम्बर 2012 तक वह ट्रक यूपी 07 टीए 7254 बनवासी बरनवाल के नाम से पंजीकृत था. उसका क़त्ल 28 अगस्त 2012 को हुआ. तथा 22 सितम्बर 2012 को मरने के बाद बरनवाल ने अपना ट्रक जीतेंद्र यादव को लिख दिया. जब छान बीन शुरू हुई तो विवेचना अधिकारी महेंद्र राय को सस्पेंड कर दिया गया. (28 सितम्बर 2012 अमर उजाला)
माननीय मुख्य मंत्री उत्तर प्रदेश सरकार श्री अखिलेश सिंह यादव जी, यदुवंशियो को जब खुली छूट दी गयी तो भगवान कृष्ण ने यदुवंशियो से ही उनका सर्वनाश करवा डाला. संभवतः आप को ज्ञात नहीं है क़ि आप को उत्तर प्रदेश का मुख्य मंत्री नहीं बनाया गया है. बल्कि मायावती को हराया गया है. जिसने दलित नारे की आड़ में बहुसंख्यको पर ज़ुल्म ढाना शुरू किया था. आप शायद किसी दिवा स्वप्न में भूले हुए है. बस कुछ दिन और शेष रह गए है. आप को सच्चाई का पता चल जाएगा. क्योकि लोग आप की उपलब्धियों को अब बखूबी देख,सुन एवं समझ रहे है.
भारती

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