अब तों विद्यार्थियों क़ी बल्ले बली ही है. बस एक बार यूनिवर्सिटी में नाम लिखा लो. पारिवारिक हास्टल मिल जाएगा. आराम से मियाँ बीबी रहो. न तों रात रंगीन करने के लिये किसी पार्टनर को ढूँढने क़ी आवश्यकता पड़ेगी. और न ही अब रंगरेलियाँ मनाने में किसी कानूनी अड़चन का सामना करना पडेगा. यही नहीं. अभी अब तक तों रंग रेलियाँ मनाने के लिये बाजार में किसी बीयर बार या होटल क़ी शरण लेनी पड़ती थी. वहां पर छापा पड़ने का भय रहता था. तथा वहां पर छात्रो क़ी संख्या कम रहती थी. इसलिए छात्र इस छापे का विरोध भी नहीं कर पाते थे. अब किस एस पी या कलक्टर क़ी हिम्मत है जो यूनिवर्सिटी में घुसने क़ी हिम्मत कर सके. अब तों उसे वैधानिक अधिकार मिल गया है.
जी हाँ, अभी अभी इलाहाबाद यूनिवर्सिटी ने यह फैसला सुना दिया कि हास्टल में अब छात्र अपनी बीबियों को लाकर रख सकेगें. तथा उनके लिये वे सारी सुविधाएं मुहैया कराई जायेगीं जो किसी विवाहित जोड़े के लिये आवश्यक होती है. देखें 21 अगस्त 2012 का दैनिक जागरण का इलाहाबाद का संसकरण. यनी अब छात्रो को पारिवारिक आवास के मेंटिनेंस पर ध्यान लगाना पडेगा. तथा उन्हें परिवार को ह़र तरह सुखी तथा वेल अप टू डेट रखने के लिये प्रयत्न करना पडेगा. यानी अब पढ़ाई कम दाम्पत्य सुख को ज्यादा चाक चौबंद रखना.
विश्व विद्यालय आदि में पढ़ने वाले छात्रो के संयमित जीवन को तहस नहस कर अपने वोट के संग्रह को मज़बूत करने के लिये दानवो को भी अपनी जघन्यता से मात देने वाले, सभ्यता एवं संस्कृति को समूल उखाड़ फेंकने के लिये कृत संकल्प इन आतताई भ्रष्ट राज नेताओं ने यह बखूबी जान लिया है कि यदि नव युवको को वश में कर लो तों ये गुंडई एवं झगड़े फसाद के बल पर उनके लिये ढेर सारे वोट क़ी व्यवस्था कर सकेगें. बस उन्हें लालच दिखा दो. अन्यथा आप स्वयं सोचें, अध्ययन काल में हास्टल में पत्नी को रखने के बाद एक छात्र कौन सी पढ़ाई कर पायेगा. जो छात्र पढ़ाई के दौरान अपनी कापी-किताब एवं फीस क़ी व्यवस्था करने में असमर्थ है वह भला शहर में अपनी बीबी लाकर इतनी कमर तोड़ महंगाई में खर्च चला पायेगा?
अभी इसका एक और पहलू उजागर होने जा रहा है. अब छात्र के नाम पर किसी तरह विश्व विद्यालय में नाम लिखाकर व्यसन-वासना एवं यौवन व्यभिचार का नंगा नाच शुरू होने वाला है. बस किसी भी ऐरी गिरी लड़की को अपनी बीबी बना लो. तथा उसके नाम पर यूनिवर्सिटी में हास्टल मिल जाएगा. तथा पढ़ाई में भले फेल हो जाओ, शारीरिक शोषण कर देह व्यापार का नग्न तांडव चला दो. क्योकि इसको वैधानिक मान्यता मिल चुकी है. अतः पुलिस प्रशाशन भी कुछ नहीं कर सकता है. विश्व विद्यालय को तों बस यह प्रमाण चाहिए कि वह लड़की उसकी बीबी है.
अध्ययन रूपी तपस्या जो कठिन साधना के बाद ही प्राप्त हो पाती है, उसका सफल समापन एकाकी एवं ब्रह्मचारी जीवन में ही निहित है. यूनिवर्सिटी में अध्ययन काल में बीबीयों को लाकर रक्खाने क़ी अनुमति देना किस बात का द्योतक है? इससे एक मात्र जो सफलता हासिल होने वाली है वह यह है कि कतिपय गुंडे जो जबरदस्ती छात्र बन कर यूनिवर्सिटी में रहते है वे सब शहर-बाज़ार से लड़कियों को जबरदस्ती उठाकर हास्टल में लायेगें. लड़की यदि रोटी चिल्लाती है तों यह बताया जाएगा कि यह पति-पत्नी का मामला है. पति-पत्नी में तों झगड़े एवं रूठना मनाना चलता रहता है. तथा फिर इस प्रकार उधर से ध्यान हटा लिया जाएगा. उस लड़की का शोषण किया जायेगी. और उसके बाद उसे छोड़ दिया जाएगा. इस तरह से इस पवित्र शिक्षा मंदिर में अब देह व्यापार को वैधानिक मान्यता मिल गयी. लड़कियों को अब या तों अपने शील एवं कुमारी को नीलाम कर के इस यूनिवर्सिटी में पढ़ना पडेगा. या फिर किसी ने शिक्षण संस्थान का सहारा लेना पडेगा. अन्यथा पारिवारिक हास्टल में जो यूनिवर्सिटी कैमपस के अन्दर ही होगा, घसीट कर ले जाया जाएगा. तथा कामसूत्र के नित नए शोध होगें.
ऐसे ही यूनिवर्सिटी के अन्दर दुष्ट एवं व्यभिचारी छात्रो के डर से कोई पुलिस कैम्पस के अन्दर नहीं घुसने पाती है. अब तों यह काम निरंकुश होकर चलेगा. प्रशाशन को तों वोट चाहिए. चाहे लड़कियों का शोषण हो या दंगा. वोट गुंडों के द्वारा ही इकट्ठा किया जा सकता है. और नवजवान गुंडे यूनिवर्सिटी के अलावा और कहाँ मिल सकते है? अब इसके लिये जरूरी है कि उन नवजवान गुंडों क़ी सुख सुविधा का ख्याल रखा जाय. तों उसके लिये यह सबसे उचित और ठोस कदम है कि पहले उन्हें सुरा सुन्दरी में मस्त किया जाय. तथा विश्व विद्यालय में ही पारिवारिक हास्टल क़ी सुविधा प्रदान क़ी जाय. अब किस पुलिस वाले क़ी हिम्मत है कि वह यूनिवर्सिटी कैम्पस में घुस कर यह देखे कि हास्टल में लडके ने जिस औरत को रखा है वह उसकी बीबी है, वैश्या है या जबरदस्ती घसीट कर लाई गयी कोई मज़बूर लड़की है?
और यह कहावत शत प्रतिशत चरितार्थ होने जा रही है कि भारत का अगला भविष्य नवजवानों के कंधे पर है. वह जो चाहेगें वही होगा. अतः उन्हें काबू में रखो. और यह उन्हें काबू में रखने का सबसे ठोस, सरल, कारगर एवं वैधानिक उपाय है.
शिक्षा, शिक्षण, शिक्षक एवं शिक्षार्थी के भविष्य क़ी रूप रेखा क़ी बड़ी सुन्दर कल्पना साक्षात् प्रकट हो गयी है.
पहले भारत क़ी जनता टैक्स से लूटी गयी. फिर मंहगाई से मारी गयी. फिर अपने बेटा बेटी क़ी इज्ज़त बचाने में मारी गयी. अब अपने बच्चो के अच्छी, अनुशासित, नियमित एवं आदर्श पढ़ाई से मारी गयी. अर्थात शरीर एवं आत्मा दोनों से ही मार दी गयी.
हे भारत के नागरिक! अब किस बात क़ी प्रतीक्षा कर रहे हो? अब तों ह़र तरह से मर गये- आर्थिक, नैतिक, पारिवारिक, सामाजिक, चारित्रिक एवं धार्मिक, ह़र तरह से सत्यानाश हो गया. अब किस नाश क़ी प्रतीक्षा कर रहे हो? कम से कम मरने से पहले एक आतताई को तों मारो. मर तों गये ही हो. अब किस बात का डर सता रहा है? मरने से पहले दस पांच को तों मार डालो. अभी अब तक शिक्षण संस्थान इस वासनामय तथा चारित्रिक पतन से थोड़ा बचे हुए थे. लेकिन अब उन्हें भी जबरदस्ती क़ानून बनाकर वैश्यालय बना दिया गया. अब क्या अपनी आँखों से अपने बेटी को, अपनी बहू को या बहन को इन शिक्षण संस्थानों में वैश्यावृत्ती करते देखना चाहते हो? या खर्च नहीं चल रहा है इसलिए चाहते हो कि बेटी, बहू एवं बहन इस प्रकार कमाकर लाये और खर्च चले?
मत देर करो. उठाओ हथियार. टूट पड़ो इन दस्युओ पर. ख़त्म कर डालो इन आतंकवादियों को. एक एक को पकड़ कर नृशंसता पूर्वक काट डालो. कम से कम आगए क़ी पीढी तों सुरक्षित रह पायेगी.
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