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गृहयुद्ध एक मात्र विकल्प : भयावह स्थिति

संसद या सासत
संसद या सासत
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गृहयुद्ध एक मात्र विकल्प
राजनीति एवं जनसेवा के नाम पर भारत को जर्जर बनाकर दिवालियापन के बिलकुल कगार पर पहुंचा चुके नेता रूपी दस्युओं से निजात पाने का अब भारत वासियों के पास सिवाय सशस्त्र विद्रोह या गृह युद्ध के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचा है. देश का कोई भी ऐसा विभाग, निदेशालय, निगम, संगठन या समिति नहीं बची है जो आकंठ घोटाले में न डूबी हो. चाहे वह सेना हो या शिक्षा विभाग, जिस कोने में भी हाथ डालिए, भरपूर ज़हरीली कालिख में हाथ डूब जाएगा. थाने में रिपोर्ट लिखाने जाईये तो थानेदार पहले यह देखेगा क़ि कौन सी पार्टी ज्यादा रिश्वत देने वाली या सरकार की करीबी है. बस उसका रिपोर्ट लिखकर दूसरी पार्टी को जेल में डाल दिया जाएगा. तथा बल पूर्वक उस व्यक्ति के खिलाफ साक्ष्य इकट्ठा कर लिए जायेगें. उसके बाद वह मुकद्दमा जिस जज के पास जाएगा उसे सख्त निर्देश होगा क़ि वह फैसला जेल में बंद व्यक्ति के विरुद्ध दे. अन्यथा उसके खिलाफ कार्यवाही करते हुए उसे सेवा मुक्त कर दिया जाएगा.
सिर से पाँव तक भ्रष्टाचार के दल दल में फंसी भारतीय सेना का सबसे बुरा हाल है. संयोग अच्छा है जो घोषित युद्ध नहीं हो रहा है. अन्यथा काश्मीर तो दूर दिल्ली तक को पाकिस्तान को देना पडेगा. और ले देकर सुलह सपाट कर के फिर से देश में लूटपाट के सिलसिले को बदस्तूर जारी रखने के लिए पाकिस्तान को मना लिया जाएगा. या फिर अंग्रेजो के सामान पाकिस्तान को भी कमिसन देना तय हो जाएगा. काश्मीर के नाम पर आप को पता है भारत का कितना धन व्यय होता है? और वह धन कहाँ जाता है? क्या आप को पता है क़ि सेना के जनरल का यदि कोर्ट मार्शल होता है तो वह खुश हो जाता है? कारण यह है क़ि वह इतना धन लूट लिए रहता है क़ि उस धन का व्याज उसके पेंसन एवं मिलने वाली अन्य सुविधा से कई गुना ज्यादा होता है. जेनरल रथ, जेनरल अवधेश प्रकाश, जेनरल गुरु इकबाल सिंह, जेनरल ए. के. साहनी आदि का कोर्ट मार्शल हो गया. क्या उनका नुकसान हुआ? पता नहीं पेंसन के धन से वे कब तक क्या करते. इस घोटाले से एक ही बार में अरबो-खरबो रुपये मिल गए. चलता रहे कोर्ट मार्शल. और वर्तमान में चल रहे उत्तरीकमान के सप्लाई के जेनरल वी. के. शर्मा के खिलाफ कोर्ट आफ इनक्वायारी से क्या होने वाला है?
बात धन के लूट तक ही सीमित नहीं है. क्या आप को पता है क़ि अब सेना में औरतो को भी भर्ती किया जा रहा है? लेकिन आप को पता है इसके पीछे का रहस्य क्या है? कारण यह है क़ि पैसा तो लूट पाट कार खूब कमा लेते है. किन्तु उनकी कामवासना की भूख शांत नहीं हो पाती है. जी हाँ, यह सच्चाई है. यह फैसला भ्रष्ट मंत्रियो को खूब सूरत लड़कियों को परोस कर पास कराया गया. अन्यथा सेना में औरतो का क्या काम? और यदि सेना में औरतो का काम है तो फिर सिपाही के पद पर भी लड़कियों को क्यों नहीं भर्ती किया जाता? केवल अफसर पद पर ही भर्ती क्यों? क्या सिपाही के लायक लड़किया नहीं है?
सेना में सेवादारी प्रथा क्यों? एक सैनिक को देश सेवा करने एवं देश की रक्षा के लिए प्राण तक त्याग देने के लिए कशम खिलाई जाती है. लेकिन आप जान कर हैरान होगें क़ि उसी सैनिक को प्रोमोसन या अच्छी जगह पर पोस्टिंग होगी जो उस अधिकारी की सेवादारी करता हो. क्या अफसरों की बीबियाँ अपँग होती है जिन्हें एक रसोईया दिया जाता है? क्या वे अपने पति एवं बच्चो का खाना नहीं बना सकती? और अगर नहीं बना सकती तो अपने खर्चे पर एक रसोईया क्यों नहीं रख लेती? उसके बाद उनके बच्चो को नहलाने, स्कूल ले जाने, जूता पालिश करने तथा कपडे प्रेस कराने के लिए एक हेल्पर चाहिए. जो एक सैनिक ही होगा. क्या एक अफसर जाहिल, निकम्मा, लूला, लंगडा या कमजोर होता है जो अपना कपड़ा प्रेस नहीं करा सकता? अपने जूते पर पालिस नहीं कर सकता? यदि वह इतना भी काम नहीं कर सकता तो फिर सेना जैसे संगठन में भर्ती ही क्यों हुआ? एक सिपाही की बीबी अपने बच्चो को भी संभालती है? पति को भी संभालती है. और उसका पति एक अफसर की सेवादारी के लिए नियुक्त होता है. क्या सिपाही एवं उसकी बीबी यह सब काम कर सकते है तथा एक अफसर की बीबी नहीं कर सकती? एक अफसर के बेटा-बेटी को स्कूल छोड़ने के लिए विशेष छोटी गाडी नियुक्त होती है. जिसे एक स्पेसल ड्राईवर चलाता है. तथा साथ में उसकी देखभाल के लिए एक सेवादार उस लडके के साथ जाता है? किन्तु एक सिपाही का लड़का या तो भीड़ में धंसते हुए उस फौजी बस से जाएगा जो उसे कम से कम दो घंटे पहले लेकर चलेगा तथा पूरे कैम्पस में घूमते हुए सब लड़को को इकट्ठा करते हुए तब विद्यालय जाएगा. अब उस सिपाही की बीबी किस तरह यह सब सहेजती है? किन्तु एक अफसर की बीबी यह सब क्यों नहीं सहेज सकती? यह कौन सी सेना है जिसमें इतने जाहिल एवं रोगी-कमजोर अधिकारी सेना को संभालने का काम करते है? एक सिपाही को सेवादार क्यों नहीं दिया जाता? ज़रा एक बात की तरफ और ध्यान दें. इस बात का रोना रहता है क़ि सेना में अफसरों की कमी है. और इसका फ़ायदा उठाकर सारे फौजी अधिकारी अपने निकम्मे, सर्वथा अयोग्य एवं निठल्ले लडके एवं लड़कियों को सेना में भरते चले जा रहे है. इसके लिए उनका कोटा भी निर्धारित कर दिया गया है. चाहे वह किता भी निकम्मा हो, वह जगह उस अधिकारी के लडके के लिए सुरक्षित है. क्या आप कोम पता है क़ि उठाने बैठने में असमर्थ अफसर सेना में नौकरी करता रहेगा. किन्तु इस अवस्था में एक सिपाही को बलात जबरदस्ती सेवा मुक्त कर दिया जाएगा. टूटे पाँव, टूटी कमर, एक आँख का काना, एक बांह लकवा ग्रस्त होने पर भी अफसर को सेवा से निकाला नहीं जाएगा. लेकिन एक सिपाही को भगा दिया जाएगा. आखिर क्यों? जब सेना का अधिकारी ही अपाहिज है तो वह सेना का नियंत्रण कैसे करेगा? आप एक सर्वेक्षण कर लें. सेना में अधिकारियों के लडके एवं लड़कियां ही नब्बे प्रतिशत अधिकारी है. मटरगस्ती में डूबी, बदचलन, भ्रष्ट, आचार-विचार हीन वे महिलायें जो सेना के अधिकारियों की बीबियाँ है, तथा जिनके लडके एवं लड़कियां सदा सेवादारो के भरोसे रहे, जिन्होंने अपनी मा एवं बाप से सदा अनितिक कामो की ही शिक्षा ली, वे कभी भी योग्या हो ही नहीं सकते है. अब उनके लिए सेना से अच्छा शरण स्थल और कहाँ मिलेगा? अब आप भारतीय सेना के बारे में अनुमान लगा सकते है.
शिक्षा विभाग जहाँ पर पैसे के बल पर डिग्री खरीदी जाती है. कापियां तक बदल दी जाती है. प्रतियोगी परीक्षाओं में भी उत्तर पुस्तिकाओं के साथ हेरा फेरी कर दी जाती है. तथा पहुँच वाले व्यक्तियों के आश्रितों के अंक बढ़ा कर उन्हें पास घोषित कर दिया जाता है. साक्षात्कार में पहले से ही सख्त निर्देश होता है क़ि किस लडके को पास करना है. पास न करने वाले के खिलाफ कोई न कोई अभियोग लगा कर नौकरी से निकाल दिया जाता है. तथा दूसरे को नियुक्त कर पुनः इंटरव्यू कराकर उस लडके को पास करा दिया जाता है.
स्वास्थय विभाग में चाहे वह कभी भी मेडिकल कालेज न गया हो, उसे एम् बी बी एस की डिग्री मिल ही जानी है. तथा उसे सरकारी विभाग में सी एम् ओ बन ही जाना है. वह नकली दवाओं की सप्लाई सुनिश्चित करेगा. तथा उन नकली दवाईयों से आम जनता मरेगी. सोनिया गांधी का इलाज तो अमेरिका में होगा. क्योकि उन्हें पता है क़ि उन्होंने भारत में कैसे डाक्टरों को नौकरी दे रखी है.
बिजली विभाग, यदि आप ने बिजली का बिल नहीं दिया है तो कोई बात नहीं. मीटर रीडर को हर महीने एक निश्चित रकम देते जाईये. आप को बिल देने की कोई आवश्यकता नहीं है. यदि आप ने ऐसा नहीं किया तो आप के नाम भयंकर बिल जायेगी. और न जमा करने पर कुर्की होगी. आप जेल में बंद होगें. किन्तु किसी अधिकारी के बंगले, उसके किसी फार्म या आफिस के नाम से चाहे करोडो रुपया ही क्यों न बकाया हो, वह नहीं अदा करेगा. नाम मात्र के लिए बहुत हिम्मत कर के एक नोटिस जारी कर के इतिश्री कर दी जायेगी. या फिर किसी भी कोर्ट से स्टे आर्डर लेकर बैठ जाएगा.
भूलेख विभाग,  यदि आप ने लेख पाल को पैसे नहीं दिए तो वह आप की जमीन की पैमायिस किसी और के नाम करता रहेगा. तथा भारतीय क़ानून के अनुसार यदि कुछ समय तक जमीन उस दूसरे व्यक्ति के नाम रह गयी तो वह उसकी हो जायेगी. और अब आप अपने मरने तक या पीढी दर पीढी कानूनी लड़ाई लड़ते रहिये.
बस इस तरह मरते रहिये. आप कुछ नहीं कर सकते है. न तो न्याय की गुहार लगा सकते है. और न तो किसी से अपनी सुरक्षा के लिए कह सकते है. किसके पास जायेगें. गोपाल कांडा, गृह राज्य मंत्री, हरियाणा सरकार, जिसके जिम्मे समूची राय की रक्षा सुरक्षा का भार दिया गया था, यही तो कहता है क़ि आखिर इतना पैसा कमा कर क्या करूंगा? थोड़ा लड़कियों के साथ यदि मौज मस्ती नहीं किया तो पैसा किस काम का? यदि पकड़ा ही गया तो कुछ दिन जेल में गुजार कर फिर बाहर आजाउंगा. फिर थोड़ी मौज मस्ती करूंगा. आखिर पैसा किसलिए कमाया है?
उसे पता है क़ि गीतिका के घर वाले यदि नहीं मानेगे तो कुछ एक सदस्यों को मरवा दिया जाएगा. जैसे एन आर एच एम् घोटाले में हुआ है. जितने सी एम् ओ थे सबको धीरे धीरे मरवा दिया गया. और अब वह बात ठन्डे बसते में चली गयी है. बस कुछ दिन के हो हल्ला के बाद सब कुछ सामान्य हो जाएगा.
आम आदमी का धन-शोषण बल पूर्वक होता रहेगा. उनकी बेटियों की इज्ज़त लूटी जाती रहेगी. कही कोई सुनने वाला नहीं होगा. और यदि किसी ने ज्यादा छु चबड़ करने की कोशिस की तो उसे मरवा दिया जाएगा.
आज जब आम आदमी यह जान गया है क़ि उसे हर हालत में मरना ही है. चाहे क़ानून के दरवाजे पर मरे या किसी की ह्त्या कर के मरे. तो अच्छा रहेगा क़ि दस पांच को मार कर मरे. अपनी खून पसीने की कमाई सरकार द्वारा लूटते हुए देखना तथा अपनी बेटी की आबरू को सरे आम लूटते हुए देखकर मरने से बेहतर है क़ि दस पांच को मार कर ही मरा जाय. मरना तो है ही.
और बस यही विकल्प अब आम आदमी के सामने खुला हुआ है.
और यह सबसे अच्छा विकल्प है. कम से कम हर व्यक्ति दस पांच ऐसे अपराधियों को मार कर मरे तो आगे की पीढी सुख शान्ति से जीने की उम्मीद कर सकती है. अन्यथा सपने में भी किसी भी तरह के सुख की इच्छा नहीं करना है.
भारती

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