Menu
blogid : 6653 postid : 42

बिलखता भारत : सड़ता लोकतंत्र

संसद या सासत
संसद या सासत
  • 14 Posts
  • 56 Comments

बिलखता भारत : सड़ता लोकतंत्र
अपने भारत को महान बनाने के लिए जिन देश भक्तो ने जिन देश वाशियों पर भरोसा कर उसके परिपोषण एवं वर्धन के लिए छोड़ कर स्वयं को बलि वेदी पर न्यौछावर कर गए आज उनके कालिख से भी काले अन्तःकरण वाले संतान स्वरुप विषबेल इसे जकड कर इतना खोखला कर दिए है क़ि अब इस देश का लोक तंत्र इतना भी आंसू नहीं बचा पाया है क़ि अपने दुर्भाग्य पर पश्चाताप के दो आंसू बहा सके. जी हाँ, पश्चाताप के आंसू!!!!. क्योकि अपनी संतान जब अन्दर एवं बाहर सब तरफ से कोढी हो जाय तो पश्चाताप ही होगा. उन बलिदानी महान वीर देश भक्तो ने सोचा भी नहीं होगा क़ि जन सेवक के नाम पर जनता के समग्र विकाश का वीणा उठाने वाले ये जन प्रतिनिधि वेतन भोगी के साथ जन रक्त शोषक संयंत्र भी बन जायेगें.
पचहत्तर हजार करोड़ रुपये में बिकने वाले उस प्रदेश के मुख्य मंत्री जहाँ से हिन्दुस्तान ने अपनी गुलामी की ज़ंजीर तोड़ने का घनघोर दुन्दुभी बजाया और जहाँ से प्रचंड जनमत प्राप्त कर श्री अखिलेश यादव मुख्य मंत्री बने उनका दिल अपने दलाल स्वरुप मंत्रियो द्वारा लूट कर दिए जा रहे धन से पेट नहीं भरा तो उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव के समय केंद्र सरकार को “ब्लैक मेल” कर धन जुटाने की प्रक्रिया अपना ली. और उन्होंने खुली छूट दे दी क़ि चाहे अत्याचार, व्यभिचार, बलात्कार, दुराचार, नरसंहार, डकैती, चोरी, षडयंत्र या जिस किसी कानूनी या गैर कानूनी तरह से हो सके लूटो एवं धन जमा करो. और पैसे को पचाने का नया शिगूफा भी खोज लिया “सैफई” सफाई के नाम पर पैसा तो पचा ही जायेगें उस जंगल की बेश कीमती लकडियाँ भी उनके चेले चपाटों के घर पहुँच जायेगी.
श्री शरद पवार भी मात्र नाराज इस लिए थे क़ि उन्हें लूट में शामिल नहीं किया जा रहा था. तथा उनके मंत्री जो धन लूट कर जमा किये थे. उसकी जांच का केंद्र सरकार द्वारा मन बनाया जा रहा था. केंद्र सरकार ने उन्हें अभय दान दे दिया. तथा मिल बाँट कर खाने की इजाज़त दे दी. श्री पवार जी मान गए.
मंत्री जनता द्वारा चुना गया प्रतिनिधि होता है. उस पर कोई जांच नहीं हो सकती. उसे लूटने का अधिकार है. क्योकि जनता ने उसे लूटने के लिए ही भेजा है. लूटने के लिए नहीं भेजा होता तो क्या उसे मालूम नहीं था क़ि पिछले साथ सालो से ये जन प्रतिनिधि क्या करते चले आ रहे है?
राष्ट्रपति देश का स्वामी होता है. यह देश उसकी नीजी सम्पत्ती है. वह चाहे इसे जैसे रखे. चाहे इसका बंटाधार करे, लूटे, लुटाये या गड्ढे में धकेल दे. उसकी कोई जांच नहीं हो सकती.
चाहे राष्ट्रपति कोई हो, उपराष्ट्रपति कोई हो, लालू प्रसाद यादव को इससे क्या लेना देना, क्योकि जब राबडी जैसी अनपढ़, गंवार एवं जाहिल महिला एक प्रतिष्ठित प्रांत की मुख्य मंत्री हो सकती है, तो चाहे चोर हो या उचक्का, अनपढ़ हो या गंवार वह कैसे कह सकते है क़ि एक विद्वान एवं एवं विचारक ही उपराष्ट्र पति बनेगा?
देश बचे या न बचे, पार्टी की शाख एवं कुर्सी बनी रहनी चाहिए.
यही है लोकतंत्र.
राज तंत्र में भले राजा अपनी प्रजा से कर वसूलता था. किन्तु वह प्रजा को अपना समझता था. आज तो प्रजा मात्र एक शोषण की जानी वाली भैंस बन गयी है. जिसे यदि सीधी तरह न हो तो इंजेक्सन देकर जबरदस्ती दूध निकालो.
आज प्रजातंत्र इस क़दर टूट गया है, थक गया है, अनेक व्याधियो से ज़र्ज़र हो गया है क़ि उसे कराहने की भी शक्ति नहीं रह गयी है. आंसुओं से तो पहले ही राज नेता अपने पैर धो चुके है. अब प्रजातंत्र के पास बचा ही क्या है? सिर्फ लाचारी एवं बेबसी में धुंधली रोशनी वाली आँखों से यह प्रजा तंत्र अन्दर ही अन्दर अकुलाते हुए घुट घुट कर दम तोड़ता चला जा रहा है.
अब लोकतंत्र को दुःख इस बात का नहीं है क़ि उसके स्थान पर राजतंत्र या सामंत वाद आयेगा. बल्कि इस देश में भयंकर गृहयुद्ध जो अवश्यम्भावी हो गया है उसकी कल्पना से यह लोकतंत्र चीत्कार कर रहा है.
कारण यह है क़ि पिछले पचास साठ वर्षो में जनता ने यह देख लिया है क़ि वह निरंतर घुट घुट कर मर रही है. न तो उसके धन की सुरक्षा है, न ही उसके परिवार की, न तो उसकी इज्ज़त की सुरक्षा है न ही उसके मान सम्मान की. और न ही उसके जीवन की. तो यदि मरना ही है, तो क्यों न कुछ एक को मार कर ही मरा जाय. आखिर मरना तो है ही.
और इस गृहयुद्ध की भयंकर त्रासदी एवं उससे उत्पन्न विभीषिका के कल्पित भयावह दृश्य से यह लोकतंत्र थर्राया हुआ है. और यह देश पुनः हजारो साल पीछे पाषाण काल में जाने को तैयार हो गया है. जब मनुष्य मनुष्य को ही मार कर खाना शुरू करेगा.
इस भयावह दृश्य से भयभीत होकर ही यह भारत मजबूरी में इस सड़े लोकतंत्र की अनेक संक्रामक रोगों से लदी फटी पुरानी चादर के सहारे इस कल्पित भयंकर पाषाण कालीन युग के आगमन के प्रहार को रोकने की कोशिश में लगा है. किन्तु यह फटी रोगी एवं जर्जर चादर इसे कब तक रोक पायेगी?
हाय रे भारत!!!!!!! हाय रे गलित कुष्ठ रोगी लोकतंत्र!!!!!!
भारती

Read Comments

    Post a comment